{tab title=”Hindi”}
सर पे आधा पौना छप्पर है तोह क्या
घर पे खुले आम आती है हवा
सीली सीली गीली शक्कर है तोह क्या
लूटना मीठी चाय का मज़ा
देव भूमि की ये माया
भूल जाते सब क्या खोया
क्या पाया
आधा भी ज्यादा है यहाँ
जीना बड़ा सदा है यहाँ
खुश रहना आसान है यहाँ
आधा भी ज्यादा है यहाँ
झूठी बाकि की दुनिया सारी झूठी
सच्ची यहाँ की जड़ी बूटी
भोले की बोलो जय
खाली जेब पर कोई न उदास
देवो का यहाँ है वास
रे कोई न फिक्रें आसपास
यहाँ साथ में बहती बास
ओह सुन ले बंदे
पहाड़ी सचे बंधु
आके पहाडो में राम तू
गूंजे हवाओ में डमरू
भोले की बोलो हो जय
जय भोले
आधा भी ज्यादा है यहाँ
जीना बड़ा सदा है यहाँ
खुश रहना आसान है यहाँ
आधा भी ज्यादा है यहाँ
{tab title=”English”}
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