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दुःख के दुःख के अब दिन बीतत नाही
दुःख के अब दिन बीतत नाही
सुख के दिन थे एक स्वपन था
सुख के दिन थे एक स्वपन था
सुख के दिन थे एक स्वपन था
अब दिन बीतत नाही मोरे
अब दिन बीतत नाही
दुःख के अब दिन बीतत नाही
न मैं किसी का ना कोई मेरा
न मैं किसी का ना कोई मेरा
छाया चारों और अन्धेरा
छाया चारों और अन्धेरा
अब कछु सूझत नाही
मोरे अब दिन बीतत नाही
दुःख के दुःख के दुःख के.
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