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Shuru Hotaa Hai Phir Baato Kaa Mausam
Shuru Hotaa Hai Phir Baato Kaa Mausam
Suhaani Chaandani Raato Kaa Mausam
Bujhaaen Kis Tarah Dil Ki Lagi Ko
Lagaaen Aag Ham Is Chaandani Ko
Ki Chaand Saa Koi Chehraa Na Pahalu Me Ho
Arz Kiyaa Hai
Haay, Ki Chaand Saa Koi Chehraa Na Pahalu Me Ho
To Chaandani Kaa Mazaa Nahi Aataa
Chaand Saa Koi Chehra Na Pahalu Me Ho
Chaand Saa Koi Chehra Na Pahalu Me Ho
To Chaandani Kaa Mazaa Nahi Aataa
Are, Jaam Pikar Sharaabi Na Gir Jaae To
Ho, Jaam Pikar Sharaabi Na Gir Jaae To
Jaam Pikar Sharaabi Na Gir Jaae To
Mayakashi Kaa Mazaaa Nahi Aataa
Chaand Saa Koi Chehraa Na Pahalu Me Ho
To Chaandani Kaa Mazaa Nahi Aataa
Jaam Pikar Sharaabi Na Gir Jaae To
Mayakashi Kaa Mazaaa Nahi Aataa
Chaand Saa Koi Chehra Na Pahalu Me Ho
ज़िंदगी है मुकम्मल अधूरी नहीं
चाँद सा कोई चहरा ज़रूरी नहीं
हुआ सैव्याद है, इश्क़ फ़रियाद है
बे जो दो नाम हैं, दोनों बदनाम हैं
तुम तो नादान हो, ग़म के मेहमान हो
दिल ज़रा धाम लो, अक़्ल से काम लो
अगरच रोशनी होती है साहब सब करारों में
ज़रा सा फ़र्क़ होता है दिलों में और दिमाग में
ऐ मेरे दोस्तों, अक़ल से काम लो
बात दिल की करो
क्योंकि
शेर दिल को न तड़पाके रख दे अगर
तो शावरी का मज़ा नहीं आता
की चाँद सा कोई चहरा
चाँद सा कोई चहरा न पहलू में हो
तो चाँदनी का मज़ा नहीं आता
जाम पीकर शराबी न गिर जाए तो
मयकशी का मज़ा नहीं आता
चाँद सा कोई चहरा न पहलू में हो
शर्वती आँल के दुस्मनों से वचो
शर्बती आँल के दुस्मनों से बचो
रेशमी जुल्फ की उलझनों से बचो
वो गली छोड़ दो, वे भरम तोड़ वो
यूँ न आहें भरो, इन से तौवा करो
वे जो विलदार हैं, सब सितमगर हैं
दिल जो वेते हैँ ये, तो जान लेते हैं ये
वफ़ा के नाम को आशिक़ कभी रुस्वा नहीं करते
कटा वेते हैं वो गर्दन मगर शिकवा नहीं करते
दिल मचल जाने दो, तीर चल जाने दो, दम निकल जाने दो
और, मौत से आदमी को अगर डर लगे
मौत से आदमी को अगर डर लगे
तो ज़िंदगी का मज़ा आता नहीं
चाँद सा कोई चहरा न पहलू में हो
तो चाँदनी का मज़ा नहीं आता
जाम पीकर शराबी न शिर जाए तो.
मयकशी का मज़ा नहीं आता
चाँद सा कोई चहरा न पहलू में हो
इश्क़ में याद कुछ और होता नहीं
आशिक्ी खूब की, दिल से महबृब की
याद जाती नहीं, नींद आती नहीं
दर्द बिलता नहीं, चैन मिलता नहीं
या छुद़ा क्या करें, हम दवा क्या करें
दवा दर्द-ए-जिगर की पूछते हो तुम दीवाने से
ये दिल की आग वुझेगी फ़क़त आँसू बहाने से
यह पितम किस लिए, गरम हो कम किस लिए, रोएं हम किस लिए
आग पर कोई पानी अगर ढाल दे
आग पर कोई पानी अगर ढाल दे
तो दिल््लगी का मज़ा आता नहीं
आग पर कोई पानी अगर ढाल दे
तो दिल्लगी का मज़ा आता नहीं.
चाँद सा कोई चहरा न पहलू में हो
तो चाँदनी का मज़ा नहीं आता
जाम पीकर शराबी न गिर जाए तो
मयकशी का मज़ा नहीं आता
चाँद सा कोई चहरा न पहलू में हो
तो चाँदनी का मज़ा नहीं आता
चाँद स्रा कोई चहरा न पहलू में हो
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