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चले सिपाही पुल उड़ाते
कहाँ किघर कोई क्या जाने
चले सिपाही पुल उड़ाते
कोई कहें वे परवाने चले सिपाही
अपनी राह ना देखे
अपनी राह ना देखे
इस झोंके में उजड़ जायेगी
किसकी चाह ना देखे
किसकी चाह ना देखे
चले सिपाही पुल उड़ाते
कहाँ किधर कोई क्या जाने
चले प्िपाही धुल उड़ाते
कहाँ किधर कोई क्या जाने
चले सिपाही धुल उड़ाते
कहाँ किधर कोई क्या जाने
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