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बगिया के अमरूद कहे
और बोले मेरा तोता
यहाँ तेरा प्रीतम होता
तो कितना अच्छा होता
गूंज रही है मेरे मानन
में शादी की शहनाई
जब से देखा आपको
मैंने नींद नहीं फिर आई
डोली लेकर कब आएंगे
प्रीतम तेरे द्वारे
लगन हमारा कब होगा
यह पूछ रहे है सरे
बगिया के अमरूद कहे
और बोले मेरा तोता
यहाँ तेरा प्रीतम होता तो
कितना अच्छा होता
बिना आपके व्याकुल
रहता है यह ह्रदय मेरा
मुरझाया लगता है
मुझको इन फूलो का चेहरा
जल्दी आना मिलने मुझसे
मेरे मैं के वासी
वरना ये फूलों की बेलें
बन जायेगी फांसी
सोच रहे है हाथ मेरे
ये बाते कैसे लिखे
कब तक बात निहारेंगे
कब तक धीरज हम रखे
बाघ की कालिया कहती है
की थक गए नैन हमारे
लगन हमारा कब होगा
यह पूछ रहे है सरे
बगिया के अमरूद कहे
और बोले मेरा तोता
यहाँ तेरा प्रीतम होता तो
कितना अच्छा होता
देख के पहली बार
आपको आँखे झूम रही थी
आपकी प्यारी सूरत को
नज़रों से चूम रही थी
तबसे लेकर अब तक हर
पल इक इक युग लगता है
वैसे कौन किसी को इतने
प्यार से ख़त लिखता है
कह दी है मनन की बातें
और नहीं है कुछ कहना
पत्र में हो ग़लती कोई
उसको आप गमा करना
नाम आपका पत्ता पत्ता
लेकर रोज पुकारे
लगन हमारा कब होगा
यह पूछ रहे है सरे
बगिया के अमरूद कहे
और बोले मेरा तोता
यहाँ तेरा प्रीतम होता तो
कितना अच्छा होता.
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