{tab title=”English”}
Murali Manohar Krishn Kanhaiya
Jamuna Ke Tat Pe Viraje Hai
Murali Manohar Krishn Kanhaiya
Jamuna Ke Tat Pe Viraje Hai
Mor Mukut Par Kano Me Kundal
Kar Me Muraliya Muraliya Muraliya Saje Hai
Itane Me Di Dikhai Radha, Radha Radha Radha
Panaghat Par Se Ay Rahi
Kataray Rahi Sharamay Rahi
Musakay Rahi Balakhay Rahi
Idhar Bashi Me Lahar Si Uthi
Krishn Ke Mukh Par Sajane Lagi
Par Ap Hi Ap Se Bajane Lagi Bajane Lagi Bajane Lagi
Lamba Sa Ghunghat Kadh Liya
Bashi Ke Suro Par Jhum Gai, Har Sarat Dagariya Moh Li
Mohan Ki Or Hi Dumakit Dumakit Dumakit Dhum Gai
Radha Ne Unako Hath Diya
Aur Krishn Ne Unaka Sath Diya
Kuchh Bat Hui Kuchh Ghat Hui
Itane Me Suraj Dub Gaya, Itane Me Suraj Dub Gaya
Radha Ki Payal Jag Uthi, Dono Me Kala Ki Rag Uthi
Ab Rain Ko Dip Sanware The, Aur Nil Gagan Pe Tare The
Rain Ko Dip Sanware The, Aur Nil Gagan Pe Tare The
Radha Ko Vida Ke Ishare, Radha Ko Vida Ke Ishare The
Radha Ne Anchal Bandh Liya
Murali Ko Sambhala Madhav Ne
{tab title=”Hindi” open=”true”}
मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया
जमुना के तट पे विराजे हैं
मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया
जमुना के तट पे विराजे हैं
मोर मुकुट पर कानों में कुण्डल
कर में मुरलिया मुरलिया
मुरलिया साजे है
इतने में दी दिखाइ राधा
राधा राधा राधा
पनघट पर से ाय रही
कतराय रही
शरमाय रही
मुसकाय रही बलखाय रही
इधर बंशी में लहर सी उठी
कृष्ण के मुख पर सजने लगी
पर आप ही आप से बजने
लगी बजने लगी बजने लगी
लंबा सा घूंघट काढ़ लिया
बंशी के सुरों पर झूम गई
हर सरत डगरिया मोह ली
मोहन की और ही
दुमकित दुमकित दुमकित धूम गई
फिर कृष्ण कन्हैया नटखट ने
राधा की कलैया थाम ले
राधा ने पुकारा
राधा ने पुकारा
हाय दै कोई आओ सखी कोई आओ सखी
फिर हाथ छुड़ा कर बोली हटो
फिर हाथ छुड़ा कर बोली हटो
अब जावो डगरिया छोड़ मोरि
कहा कृष्ण ने चुप रह
वरना दूँगा गगरिया फोड़ तोरी
राधा तब उसकी शोकि पर
कुछ बिगडी भी
मुसकाइ भी
फिर कृष्ण से पूछा
कौन हो तुम क्या नाम है जी
क्या काम है जी क्या काम है जी
ो…
हमें गोप गुआला कहते हैं
हमें गोप गुआला कहते हैं
और कृष्ण दिया है नाम हमें
नाम हमें
कोई नटवर गिरधर कहता है
कोई नटवर गिरधर कहता है
और कोई कहे घनश्याम हमें
घनश्याम नहीं तुम काले हो
घनश्याम नहीं तुम काले हो
तुम नटखट हो मतवाले हो
मतवाले हो
चितचोर हो माखन चोर नहीं
चितचोर हो माखन चोर नहीं
सुख चैन चुराने वाले हो
घनश्याम नहीं
राधा ने उनको हाथ दिया
और कृष्ण ने उनका साथ दिया
कुछ बात हुई कुछ घाट हुई
इतने में सूरज डूब गया
इतने में सूरज डूब गया
राधा की पायल जाग उठी
दोनों में कला की राग उठी
अब रेन को दिप सँवारे थे
और नील गगन पे तारे थे
रेन को दिप सँवारे थे
और नील गगन पे तारे थे
राधा को विदा के इशारे
राधा को विदा के इशारे थे
राधा ने आँचल बाँध लिया
मुरली को सम्भाला माधव ने.
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