{tab title=”English”}
Kabhi to shyaam dhale apne ghar gaye hote
Kisi ki aankh reh kar sanwar gaye hote
Ghazal ne behte huye phool chun liye warna
Ghamo mein dub kar hum mar gaye hote
Aawara hawa ka
Aawara hawa ka jhonka hoon
Aa nikla hoon pal do pal ke liye
Aawara hawa ka jhonka hoon
Aa nikla hoon pal do pal ke liye
Aawara hawa ka jhonka hoon
Aa nikla hoon pal do pal ke liye
Aawara hawa ka jhonka hoon
Aawara hawa ka jhonka hoon
Aa nikla hoon pal do pal ke liye
Aa nikla hoon pal do pal ke liye
Aa nikla hoon pal do pal ke liye
Kaante hai mere daaman ke liye
Kaante hai mere daaman ke liye
Aur phool mere aanchal ke liye
Kaante hai mere daaman ke liye
Aur phool mere aanchal ke liye
Kaante hai mere daaman ke liye
Aur phool mere aanchal ke liye
Aawara hawa ka jhonka hoon
Aa nikla hoon pal do pal ke liye
Aawara hawa ka jhonka hoon
Aa nikla hoon pal do pal ke liye
Tum aaj to patthar barsaa lo
Kal roge mujh paagal ke liye
Tum aaj to patthar barsaa lo
Kal roge mujh paagal ke liye
Kal roge mujh paagal ke liye
Kal roge mujh paagal ke liye
Kal roge mujh paagal ke liye
{tab title=”Hindi” open=”true”}
कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते
किसी की आँख में रहकर संवर गए होते
गज़ल ने बहते हुए फूल लिए वर्ना
ग़मों में डूब कर हम लोग मर गए होते
आवारा हवा का झोंका हूँ
आ निकला हूँ पल दो पल के लिए
दौलत न कोई ताज़महल छोड़ जाएंगे
हम अपनी यादगार गज़ल छोड़ जाएंगे
तुम जितनी चाहो हमारी हसीं उड़ाओ
रूठा हुआ मगर कल छोड़ जाएंगे
आ निकला हूँ …
पहचान अपनी दूर तलक छोड़ जाऊंगा
खामोशियों की मौत गंवारा नहीं मुझे
शीशा हूँ टूट कर खनक भी छोड़ जाऊंगा
आ निकला हूँ …
तुम आज तो पत्थर बरसा लो कल रोओगे मुझ पागल के लिए
खुश्बू न सही रंगत न सही
फिर भी है वो घर का नज़राना
फूल मज़ार तक नहीं पहुंचा दामन-ए-यार तक नहीं पहुंचा
हो गया वो कफ़न से तो आज़ाद फिर भी गुलज़ार तक नहीं पहुंचा
फिर भी है वो …
जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता
मायूस मेरे दर से सवाली नहीं जाता
अरे काँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफ़ाज़त
फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता
फिर भी है वो …
पतझड़ से चुरा कर लाया हूँ दो फूल तेरे आंचल के लिए
मैख़्वार को इतना होश कहां
रिश्ते की हकीकत को समझे
ज़र्क से बढ़ के तो इतना नहीं मांगा जाता
प्यास लगती है तो दरिया नहीं मांगा जाता
और चाँद जैसी भी हो बेटी मगर
ऊँचे घरवालों से रिश्ता नहीं मांगाअ जाता
रिश्ते की हकीकत …
एक एक साँस उसके लिए क़त्लगाह थी
उसके गुनाह थे वो बेगुनाह थी
वो एक मिटी हुई सी इबारत बनी रही
चेहरा खुली किताब का किस्मत सियाह थी
शहनाइयां उसे भी बुलाती रहीं मगर
हर मोड़ पर दहेज़ की क़ुर्बानगाह थी
वो चाहती थी उसे सौंप दे मगर
उस आदमी की सिर्फ़ बदन पे निगाह थी
रिश्ते की हकीकत …
बेटी का सौदा कर डाला दारू की एक बोतल के लिए
दिल और जिगर तो कुछ भी नहीं
इक बार इशारा तो कर दे
आज वो भी इश्क़ के मारे नज़र आने लगे
उनकी भी नींद उड़ गई
उनको भी तारे नज़र आने लगे
आँख वीरां दिल परेशां ज़ुल्फ़ बरहन लब खामोश
अब तो वो कुछ और भी प्यारे नज़र आने लगे
इक बार इशारा तो कर दे ऐ आईने
जो तुम्हें कम पसन्द करते हैं
इक बार इशारा तो …
मैं खुद को जला भी सकता हूँ तेरी आँखों के काजल के लिए
हम लोग हैं ऐसे दीवाने
जो ज़िद पे कभी आ जाएं तो
इश्क़ में जो भी मुक़तिला होगा उसका अन्दाज़ भी जुदा होगा
और भाव क्यों गिर गया है सोने का उसने पीतल पहन लिया होगा
जो ज़िद पे कभी …
शहर की एक अमीरज़ादी को कल इन आँखों से मैने देखा था
ठीक उस वक़्त मुफ़लिसी ने मेरी हँस के मेरा मिजाज़ पूछा था
जो ज़िद पे कभी …
सेहरा उठा कर लाएंगे झनकार तेरी पायल के लिए
ये खेल तमाशा लगता है
तक़दीर के गुलशन का शायद
फूल के साथ साथ गुलशन में सोचता हूँ बबूल भी होंगे
क्या हुआ उसने बेवफ़ाई की उसके अपने उसूल भी होंगे
तक़दीर के गुलशन …
यूं बड़ी देर से पैमाना लिए बैठा हूँ
कोई देखे वो ये समझे पिए बैठा हूँ
ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले
मैं अभी तक तस्वीर लिए बैठा हूँ
तक़दीर के गुलशन …
काँटे हैं मेरे दामन के लिए
फूल तेरे आंचल के लिए
{/tabs}