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Baat Saaqi Ki, Na Taali Jayegi
Baat Saaqi Ki, Na Taali Jayegi
Karke Tauba, Tod Dali Jayegi
Baat Saaqi Ki, Na Taali Jayegi
Dekh Lena, Wo Na Khali Jayegi
Dekh Lena, Wo Na Khali Jayegi
Aah Jo Dil Se, Nikali Jayegi
Aah Jo Dil Se, Nikali Jayegi
देख लेना वो न ख़ाली जाएगी
आह जो दिल से निकाली जाएगी
ग़र यही तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ है अन्दलीब
तू भी गुलशन से निकाली जाएगी
आते-आते आएगा उनको ख़याल
जाते-जाते बेख़याली जाएगी
क्यों नहीं मिलती गले से तेग़-ए-नाज़
ईद क्या अब के भी ख़ाली जाएगी
इसी ग़ज़ल के कुछ और अशआर:
वो सँवरते हैं मुझे इस की है फ़िक्र
आरज़ू किस की निकाली जाएगी
दिल लिया पहली नज़र में आप ने
अब अदा कोई न ख़ाली जाएगी
क्या कहूँ दिल तोड़ते हैं किस लिए
आरज़ू शायद निकाली जाएगी
गर्मी-ए-नज़्ज़ारा-बाज़ी का है शौक़
बाग़ से नर्गिस निकाली जाएगी
देखते हैं ग़ौर से मेरी शबीह
शायद उस में जान डाली जाएगी
ऐ तमन्ना तुझ को रो लूँ शाम-ए-वस्ल
आज तू दिल से निकाली जाएगी
फ़स्ल-ए-गुल आई जुनूँ उछला ‘जलील’
अब तबीअ’त कुछ सँभाली जाएगी
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