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जाने कैसी बहे ये हवा
मुझे होने लगा है नशा
जाने कैसी बहे ये हवा
मुझे होने लगा है नशा
आज पागलो के जैसी ू ू
आज पागलो के जैसी मेरे मन की
दशा मुझे होने लगा है नशा
जाने कैसी बहे ये हवा
मुझे होने लगा है नशा
हर मेहमान के लिए फूल
बिछे है यहाँ रहो में
हरी भरी ये वादियां
बोले रुक जा हमारी बाहों में
तन कोयल की तान कोयल की
काँपी है की सुण के सदा
मुझे होने लगा है नशा
जाने कैसी बहे ये हवा
मुझे होने लगा है नशा
मुझपे चला के जादू
देखो कुदरत कैसी मुस्काये रे
रंग भरी ये पहली
हर तरह से मन भरमाये रे
धार नदिया की
धार नदिया की
कहे मेरे संग तू भी गा
मुझे होने लगा है नशा
जाने कैसी बहे ये हवा
मुझे होने लगा है नशा
आज पागलो के जैसी ू ू
आज पागलो के जैसी मेरे मन की
दशा मुझे होने लगा है नशा
जाने कैसी बहे ये हवा
मुझे होने लगा है नशा.
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